
कृषकों में बढ़ता सरसों की खेती का रुझान
पिछले कुछ वर्षों में देश के कई हिस्सों में सरसों की खेती का क्षेत्रफल तेजी से बढ़ा है। सरसों के दामों में लगातार हुई बढ़ोतरी से किसानों को बेहतर लाभ मिलने लगा, जिससे रबी सीजन में इसकी बुवाई में खासा इज़ाफा देखा गया है। हालांकि इस बार बिहार जैसे राज्यों के कुछ किसान सरसों की कीमतों को लेकर चिंतित हैं। वर्तमान में उन्हें सरसों का भाव करीब ₹4200 प्रति क्विंटल मिल रहा है, जबकि उत्पादन लागत को देखते हुए यह मूल्य उन्हें संतोषजनक नहीं लग रहा।
एक किलो सरसों तेल की उत्पादन लागत कितनी?
अगर सरसों तेल बनाने की प्रक्रिया को देखें, तो लगभग 3 किलो सरसों से 1 किलो शुद्ध सरसों का तेल निकाला जा सकता है। यदि मौजूदा भाव ₹42 प्रति किलो है, तो 3 किलो सरसों की कीमत ₹126 होती है। इसमें पेराई का खर्च लगभग ₹10 जोड़ दिया जाए तो कुल लागत ₹136 प्रति किलो हो जाती है।
लेकिन यहीं पर एक अहम बिंदु आता है — तेल निकालने के बाद जो 2 किलो खली बचती है, उसकी भी बाजार में मांग होती है। खली आमतौर पर डेयरी फार्मों में पशुओं को खिलाने के लिए उपयोग में लाई जाती है और इसका मूल्य ₹20 प्रति किलो के आसपास रहता है। इस तरह 2 किलो खली की कीमत ₹40 होती है, जो मूल लागत में से घटाई जा सकती है। ऐसे में सरसों तेल की प्रभावी लागत केवल ₹96 प्रति किलो पड़ती है।
तो बाजार में ₹160 किलो क्यों मिल रहा है सरसों तेल?
अगर शुद्ध सरसों तेल की वास्तविक लागत ₹96 प्रति किलो आती है, तो सवाल यह उठता है कि ग्राहक बाज़ार में कंपनियों से वही तेल ₹160 प्रति किलो क्यों खरीद रहे हैं? इस कीमत में ब्रांडिंग, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन जैसी लागतें जुड़ जाती हैं। इसके अलावा, कई बार तेल में मिलावट की भी आशंका होती है, जिससे उपभोक्ताओं को गुणवत्ता से समझौता करना पड़ता है।
सरसों उत्पादन में अनुमानित बढ़त
देश के प्रमुख सरसों उत्पादक राज्य जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और उड़ीसा इस साल अच्छी फसल की उम्मीद कर रहे हैं। पिछले वर्ष जहां देश में करीब 110 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था, वहीं इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 125 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है। इससे सरसों की उपलब्धता में इजाफा होने की संभावना है, जिससे तेल के मूल्यों पर भी असर पड़ सकता है।
क्यों अहम है सरसों फसल?
सरसों को रबी सीजन की एक महत्वपूर्ण फसल माना जाता है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, एमपी और बिहार जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर होती है। सरसों के बीजों में 30% से 48% तक तेल पाया जाता है, जो इसे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए बेहद उपयोगी बनाता है। यही कारण है कि देश में सरसों की खेती और इसके तेल का उत्पादन दोनों आर्थिक दृष्टि से अहम भूमिका निभाते हैं।